मंगलवार, 24 सितंबर 2019

ये हैं मुम्बई के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट



एक समय था मुम्बई क्या पूरे महाराष्ट्र में गैंगवार चरमसीमा पर था पूरी मुम्बई शहर गैंगवार के चपेट में आ गया था हप्ता वसूली हत्या ,बड़े ब्यवसाई , रियल स्टेट और होटल ब्यवसाय में इन गैंग के लोगों की इतनी दहशत हो गयी थी इन लोगों को कब हप्ता के लिए किसी गैंग का फोन आ जायेगा पता नही और अगर हप्ते की रकम उनके अनुसार नही दिया तो उनकी हत्या हो जाएगी इसके लिए हर मुम्बईवाशी हैरान व परेशान हो गया था । पुलिस की भी इन गैंग वालों से परेशान हो गयी थी मुम्बई पुलिस के कई जांबाज अधिकारियों ने इन गैंग वालों का एनकाउंटर कर कानून ब्यवस्था को ठीक करने की कोशिश में लग गए इन गैंग वालों की कमर तोड़ने में थोड़े कामयाब भी हुए इनका डर गैंगस्टरों के अंदर निर्माण भी हो गया । जिसके  चलते कुछ अधिकारियों का नाम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से चर्चा में आया और अपराध की दुनियां में इनका कुछ खौफ भी हो गया । नब्बे के दशक में इन अधिकारियों ने कई नामचीन गुंडों का  एनकाउंटर कर मुम्बई की कानून ब्यवस्था को बकरार रखा। इन अधिकारियों की पहचान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की बन गयी इनमें से करीब सभी एनकाउंटर स्पेशलिस्टो को लेकर बहुत विवाद भी हुवा इन लोगों को जेल भी जाना पड़ा था ।

प्रदीप शर्मा 

प्रदीप शर्मा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले हैं ये 1983 बैच के अधिकारी थे महाराष्ट्र पुलिस में शर्मा उपनिरीक्षक के पद से शामिल हुए । शर्मा की कार्यशैली शुरू से अपराधियों के प्रति कड़क थी । नब्बे के दशक में महाराष्ट्र राज्य में सत्तापरिवर्तन हुई और शिवसेना भाजपा युति की सरकार पहली बार बनी थी उस समय मुम्बई में गैंगवार चरम सीमा पर था दाऊद की डी कंपनी और कई अलग गैंगों की आपस मे ही वर्चश्व को लेकर लड़ाई चल रही थी दिनप्रतिदिन इन गैंगों की आपसी लड़ाई बढती जा रही थी । इन गुंडों पर पुलिस को नकेल कसना मुश्मिल हो रहा था । तत्कालीन गृहमंत्री गोपीनाथ मुंडे ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक कर कहा कि कुछ भी करो लेकिन इन सभी को खत्म करो उस समय वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रदीप शर्मा व शहीद हो गए विजय सालस्कर को गुनाहगारों गैंग को खत्म करने की छूट दे दी थी । प्रदीप शर्मा ने कुल 112 एनकाउंटर कर कई गैंगस्टरों को खत्म कर दिया । शर्मा के नाम से ही कई गुनाहगारों को कंपकंपी आने लगी थी । लखन भैया एनकाउंटर मामले में प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया था  और निलंबित कर दिया गया था और कई साल जेल में भी बिताना पड़ा था पूरे 9 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद शर्मा को न्यायालय ने सभी आरोपो से मुक्त कर दिया था । फिर शर्मा पुलिस सेवा के अंदर आ गए दुबारा सर्विस में आने के बाद ऐसा लगता था कि उनका असर कम हो गया है लेकिन विपरीत शर्मा ने धड़ाके के साथ वापसी किया दाऊद के भाई इकबाल कासकर को हप्ता वसूली के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया । निलंबन व जेल जाने की वजह से शर्मा का मन पहले जैसा पुलिस विभाग में नही लग रहा था इसके लिए शर्मा ने पुलिस सेवा से त्यागपत्र देकर  राजनीति की डगर पर चलना शुरू कर दिया और शिवसेना पार्टी में शामिल हो गए । शिवसेना ने शर्मा को नाला सोपारा विधानसभा से टिकट देकर ठाकुर के वर्चश्व को चुनौती देने की कोशिश की है ऐसी चर्चा राजनीतिक क्षेत्र में चल रही है । प्रदीप शर्मा की पहचान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में जब हुई थी कि इन्होंने सुभाष माकड़वाला नामक गैंगस्टर का एनकाउंटर  उस समय अत्यंत आधुनिक राईफल एके 56 से किया था ।

रवीन्द्रनाथ आंग्रे 

पुलिस सेवा में रहते हुए रविन्द्र आंग्रे हमेशा चर्चा में रहे ठाणे से मुम्बई तक गुनाहगारों के लिए ये भी काल थे ।ठाणे और मुम्बई में अभी तक आंग्रे ने 53 एनकाउंटर किया है ।इसमें मुम्बई में 33 और ठाणे में 21 गुनाहगारों का समावेश है । नवी मुम्बई, डोंबिवली और अंबरनाथ इलाके में दहशत का निर्माण करने वाले कुख्यात अपराधी सुरेश मांचेकर गैंग का खात्मा आंग्रे ने ही किया था । ठाणे, भिवंडी इलाको में आंग्रे ने पूरी तरह से अपराधियों की कमर तोड़ दी थी । इसके बाद इनका नाम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की सूची में शामिल हो गया । आंग्रे को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की सूची में नाम आने पर कोई फायदा नही हुआ फरवरी 2008 में ठाणे के रहने वाले एक बिल्डर को हप्ता के लिए धमकाने के साथ 2010 मे एक ब्यक्ति पर गोली मारने का आरोप लगा इस मामले में आंग्रे के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ इस मामले में आंग्रे को गिरफ्तार कर लिया गया जिसमें आंग्रे को 14 महीने जेल में रहना पड़ा था । उसके बाद न्यायालय ने आंग्रे को भी सभी आरोपों से निर्दोष मुक्त कर दिया और निलंबन को भी रद्द कर दिया था । खाकी वर्दी पर दाग लगने की वजह से आंग्रे ने पुलिस की सेवा से त्यागपत्र दे कर भाजपा में शामिल हो गए थोड़े दिन के बाद आंग्रे का मन भाजपा से भर गया तो वो भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए ।

प्रफुल्ल भोसले 

प्रफुल्ल भोसले मुम्बई पुलिस दल में 1987 में पुलिस उपनिरीक्षक के पद से जॉइन किया । इसके पहले ये सिटी बैंक में काम कर रहे थे नब्बे के दशक में प्रफुल्ल भोसले के नाम से अपराधियों को बहुत डर लगता था । अपराध जगत में इनकी पूरी धाक थी प्रफुल्ल भोसले ने नाईक गैंग, अरुण गवली गैंग, छोटा शकील गैंग के कुल 87 एनकाउंटर किया था इसके बावजूद घाटकोपर बम विस्फोट मामले में आरोपी ख्वाजा युनुस की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में नाम आया । 2003 में भोसले घाटकोपर क्राइम ब्रांच में कार्यरत थे और ख्वाजा युनुस को पुलिस लॉकअप में रखा हुआ था । उसके पास से बम विस्फ़ोट की पूरी जानकारी लेने के लिए उसपर चार अधिकारियो ने थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया जिसकी वजह से उसकी मौत हो गयी ऐसा आरोप लगा था ।  खबर के मुताबिक अभी जो सीआईडी ने जो रिपोर्ट न्यायालय में पेश किया है उसमें लिखा है कि हमे कोई भी सबूत इनके खिलाफ नही मिला है ।

 सचिन वाजे 

सचिन वाजे का भी नाम मुम्बई पुलिस दल में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का है इन्होंने कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन और दाऊद इब्राहीम गैंग के कई अपराधियों का एनकाउंटर किया है इनके ऊपर भी प्रफुल्ल भोसले के साथ घाटकोपर बम विस्फोट के आरोपी ख्वाजा युनुस की पुलिस हिरासत में मौत मामले में नाम था इनको एक फर्जी एनकाउंटर मामले में निलंबित किया गया था इसके बाद इन्होंने 2007 में पुलिस सेवा से त्यागपत्र दे दिया और शिवसेना में शामिल हो गए । 

दया नायक 

दया नायक ने नब्बे के दशक में 83 कुख्यात अपराधियों को यमलोक पहुचाया था जिसके वजह से अपराध की दुनिया मे पूरा अपना दबदबा बना लिया था । इनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति मामले का आरोप लगा जिसके कारण इनको निलंबित कर दिया गया था ।महाराष्ट्र पुलिस में दया नायक 1995 बैच के पुलिस उपनिरीक्षक है ।  बहुत ही कम समय मे इन्होंने अपनी कार्यकुशलता से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया था । अपने मूल गांव कर्नाटक में अपनी मां के नाम पर स्कूल बनवाया और उसका उद्घाटन शदी के महानायक अमिताभ बच्चन के हाथों कराया था यही इनके ऊपर सबसे बड़ा अपराध साबित हुआ कि इसके निर्माण के लिए इतना पैसा कहा से आया ऐसा प्रश्न का निर्माण हो गया और एंटीकरप्शन ब्यूरो (एसीबी) की तहकीकात इनके पीछे लग गयी । अपराधियों के काल दया नायक आय से अधिक संपत्ति के विवाद में फंस गए थे । इस मामले में इनकी गिरफ्तारी भी हुई और इनको पुलिस सेवा से निलंबित कर दिया गया था जमानत पर छूटने के बाद ये पूरी तरह से अज्ञातवास में चले गए थे । बड़ी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद  दया नायक फिर से कई साल पहले पुलिस सेवा में बहाल हुए अभी इनकी पोस्टिंग खार पुलिस स्टेसन में पुलिस निरीक्षक के पद पर है ।

विजय सालस्कर 

मुम्बई में हुए 26/11 आतंकी हमले में शहीद हुए एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर अरुण गवली गैंग का पूरी तरह से कमर तोड़ दिया था इस गैंग के जितने कुख्यात गुंडे थे सभी का एनकाउंटर कर दिया था । गैंगेस्टर अमर नाईक और सदा पावले को गिरफ्तार करने के बाद ये चर्चा में आये थे । एक एनकाउंटर करते समय एक 18 वर्षीय युवक को गोली लगने से उसकी मृत्यु हो गयी थी इस मामले में ये परेशानी में आ गए थे पूर्व मुम्बई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया इनके सबसे बड़े पसंदीदा अधिकारी थे ।
इसके अलावा और भी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अधिकरी हैं जिन्होंने एनकाउंटर तो किया लेकिन एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की सूची में अपना नाम दर्ज नही किया वे नार्मल तरीके से अपना कार्य करते रहे । जितने लोग एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हुए सभी के ऊपर कोई न कोई मामला दर्ज हुआ और जेल भी गए कड़ी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद निर्दोष मुक्त हुए और फिर पुलिस सेवा में बहाल हुए ।

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