रविवार, 8 सितंबर 2019

बीजेपी शिवसेना में फंस सकती है युति की पेंच
बीजेपी शिवसेना में फंस सकती है युति की पेंच 

एक तरफ युति कर के विधानसभा का चुनाव लड़ने की बात तो दूसरी तरफ अकेले चुनाव लड़ने की बीजेपी की तैयारी 

पदधिकारों को तैयार रहने का अंदरूनी आदेश 


मुम्बई लोकसभा चुनाव दोनो पार्टियों ने युति कर के ही चुनाव लड़ा था और भरी सफलता प्राप्त की थी विधानसभा चुनाव बीजेपी अकेले अपने स्वालंबन पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है ऐसी चर्चा जोरों पर चल रही है शिवसेना से युति नही होंगी इसके लिए  स्थानीय पदाधिकारियों को अंदरूनी आदेश दिया जा रहा है  ऐसी सूचना भुसावल के जिला अध्यक्ष डॉ संजीव पाटिल ने अपने जिले के सभी पदाधिकारियों को दिया है । ये मुख्यमंत्री के महाजनादेश  की पूर्व तैयारी की बैठक में बोल रहे थे । इस बात से साफ हो रहा है कि बीजेपी अकेले अपने स्वालंबन पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी ऐसी चर्चा हो रही है ।इसके बावजूद बीजेपी शिवसेना से युति कर के ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी ऐसा कह रही है और विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी करने में लगी हुई है । पश्चिम महराष्ट्र के पांच जिलों में कुल 58 विधानसभा क्षेत्र में दमदार उम्मीदवार के लिए जोरदार तैयारी में लगी हुई है । कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के असंतुष्टों पर अपनी नजर बनाए हुए है स्थानीय नेताओं को  युति नही होगी इसलिए सभी लोग काम पर लग जावो  ऐसा अंदरूनी आदेश दिया जा चुका है । राजनीतिक लोगों का मानना है कि विधानसभा के ऐन समय पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा बीजेपी कर सकती है । विधानसभा के होने वाले चुनाव को लेकर बीजेपी ने अंदरूनी सर्वे कराया है इस सर्वे की रिपोर्ट में बीजेपी को 160 सीट और शिवसेना को 90 सीट मिलेगी बीजेपी को  बहुमत से ज्यादा सीट मिलेगी इसलिए बीजेपी अकेले अपने स्वालंबन पर चुनाव लड़ने की सोच सकती है । सर्वे के मुताबिक अगर युति कर के बीजेपी चुनाव लड़ती है तो उसे सिर्फ 144 सीट मिलेगी क्यों कि युति होने पर कई सीट छोडनी पड़ेगी अगर बीजेपी को जितनी सीट युति में मिलेगी वो सभी सीट अगर जीत जाती है तो भी उसे पूरी बहुमत नही मिलेगी ये पूरी तरह से निश्चित है फिर भी बीजेपी सभी को पूरी तरह से नाप तौल कर युति कर के ही चुनाव लड़ने का फैसला कर सकती है ऐसा राजनीतिक क्षेत्र में चर्चा चल रही है इस चर्चा को देखते हुए शिवसेना की मुख्यमंत्री की मांग भी थोड़ी पड़ती दिखाई दे रही है । चुनाव के पहले बहुत ही चर्चाएं होती हैं अब देखना ये है कि इन हो रही चर्चाओं में कितनी सच्चाई है कि ये सिर्फ चर्चा ही है वैसे अभी तक दिनों दल युति कर के ही विधानसभा का चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं इसके बाद भी महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसी चर्चाओं का होना एक स्वाभाविक हैं क्यों कि चुनाव जो आ गया है सभी लोग अपनी पार्टी के नफा नुकसान की गणित पर कार्य कर रहे हैं । फैसला तो दोनों पार्टियों को ही लेना है जिस दिन फैसला हो जाएगा उस दिन सभी चर्चाओं पर विराम लग जायेगा । फिर भी कभी भी आग लगे बिना धुवाँ नही होता ये भी सच है कहीं न कही कुछ तो खिचड़ी पक रही होंगी तभी तो चर्चा चल रही है ।

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