मंगलवार, 2 सितंबर 2014

अमित शाह सियासी शतरंज के माहिर

अमित शाह सियासी शतरंज के माहिर खिलाड़ी है,,,यू पी मे अपने हुनर का जलवा दीखा चुके है....  माहरास्त्रया मे भी इसी तरह का जलवा दीखाने की उनमे कुव्वत है,,,,चारो तरफ फैला हुवा जीहादी आतंकवाद के कारण यकीनन शाह अपनी बात को बहुत वज़नी अंदाज मे लोगो के सामने रख पायेंगे और सलाह देंगे आतंकवाद भगाइये ,,,,,

रविवार, 31 अगस्त 2014

पाकिस्तान को.कड़ा संदेश

राजनाथ सिंह की आक्रामकता एक कड़ा संदेश देती है पाकिस्तान को. पर पाकिस्तान को संदेश कब सुनाई देता है?

मोदी के भाषण से सिंगापुर के पीएम हैरान

यह कला हर किसी मे नही होती. इसके लिये दूरदर्शी सोच, विचारों का खुलापन और मन मे दृढ़ता होनी चाहिये. अब अगर इस मुद्दे पर भी कोई नकारात्मक टिप्पणी करेगा तो यकीनन यह उसके दिमाग का दीवालियापन ही होगा, और कुछ नही. नरेन्द्र मोदी अपने वादों को पूरा करने के लिये किस कदर प्रयासरत है, यह उनके एक एक शब्द मे दिखाई देता है. उपर वाला उन्हे मदद करे की वो अपने किये वादे को बखूबी पूरा कर सकें. एक भारतवासी होने के नाते मेरी दुआएँ तो उनके साथ है. जय हिन्द जय भारत.

पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्षी नेता इमरान खान और मौलवी ताहिर-उल-कादिरी के नेतृत्व में हो रहा आंदोलन हिंसक हो गया है। प्रधानमंत्री निवास की ओर कूच करने वाले हजारों सरकार विरोधी प्रदर्शकारियों पर रविवार तड़के हुई पुलिस कार्रवाई में दो लोगों की मौत हो गई है जबकि करीब 450 लोग घायल हो गए।

बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

इनका नाम आम आदमी पार्टी से बदलकर प्रदर्शन पार्टी रख देना चाहिये

, इनका नाम आम आदमी पार्टी से बदलकर प्रदर्शन पार्टी रख देना चाहियेऔर किसी भी प्रकार का झगड़ा, प्यार मे रुकावट, शादी मे परेशानी, नौकरी ना मिलना इत्यादि समस्याओ पर सफलता पूर्वक धरना दिया जाता है का साईन बोर्ड लगा कर सचिवालय मे बैठा दो क्योंकि और कोई काम तो हो ना रहा खाली धरना| कोई सबूत नही इल्ज़ाम लगाओ और धरने पर बैठ जाओ, सबूत मिले ना मिले मीडिया मे जगह और लोगो के बीच पहचान तो मिलेगी ही|

यह आप का पब्लिसिटी स्टण्ट 

यह आप का पब्लिसिटी स्टण्ट हैहै. मदनलाल की हैसियत नहीं कि उसको कोई मुख्यमंत्री का आफर करे. आप पार्टी को मोदी को बदनाम करने से पहले रिहर्सल कर लेनी चाहिए और साजिश भी दमदार होनी चाहिए, जिससे जनता विश्वास कर सके. जैसे केजरीवाल अपनी राजनीति दाँव में लगा दें, विश्वास करें अच्छा रेस्पांस मिलेगा.
पहले यह तो साबित हो जाने दो की क्या वाकई अरुण जेटली ने सरकार गिरने के लिये पैसे का प्रस्ताव दिया या यह भी इन नाटकबजो की कोई चाल है सुर्खियो मे रहने की ........आप पार्टी बहुत सक्रिय है कोई भी अनजान व्यक्ति काल करता है की में मोदी या जेटली का एजेंट बोल रहा हू उन्होने मुझे आपको खरीदने भेजा है| उस व्यक्ति को तो पकड़ा नहीं, परंतु मोदी और जेटली को दोषी करार दे दिया | अगर पुलिस भी ऐसे ही सक्रिय हो जाये तो .......

केजरीवाल की पार्टी की गुण्‍डागर्दी का विरोध करें, इनके असली चेहरे को पहचानें, दिल्‍ली के मज़दूरों की न्‍यायसंगत माँगों का पुरजोर समर्थन करें!

6 फरवरी,11 बजे चलो दि‍ल्‍ली सचि‍वालय!


साथियो!

पिछले लगभग एक माह से पूरी दिल्‍ली की मज़दूर बस्तियों और औद्योगिक क्षेत्रों में दिल्‍ली मज़दूर यूनियन, उत्‍तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन और स्‍त्री मज़दूर संगठन की ओर से माँगपत्रक आन्‍दोलन चलाया जा रहा है। मज़दूरों की माँगें एकदम स्‍पष्‍ट हैं। उनका महज इतना कहना है कि दिल्‍ली के मज़दूरों से किये गये अपने वायदों को पूरा करें।

आखिर इतनी बौखलाहट क्‍यों?

फिर आखिर इस आन्‍दोलन से आम आदमी पार्टी को इतनी बौखलाहट क्‍यों है कि आन्‍दोलन की अभियान टोलियों के साथ जगह-जगह उनके कार्यकर्ता उलझ रहे हैं, गाली-गलौज कर रहे हैं और पर्चे जला रहे हैं। पिछले एक हफ्ते से उत्‍तर-पश्चिमी दिल्‍ली क्षेत्र में लगभग हर रोज़ ‘आप’ के कार्यकर्ताओं ने अभियान टोली के साथ बदसलूकी की, प्रचार सभाओं में बाधा पैदा करके मज़दूरों को तितर-बितर करने की कोशिश की। एक दिन एक प्रचार टोली से पर्चे छीन कर जलाये। यहाँ तक कि शाहाबाद डेयरी स्थित जिस शहीद भगतसिंह पुस्‍तकालय में स्‍त्री और पुरुष मज़दूरों की मीटिंगें और विविध सांस्‍कृतिक कार्यक्रम हुआ करते हैं, रात में उसका बोर्ड कुछ लोग उतार ले गये। फिर वहाँ पत्‍थरबाजी भी की गयी। कल शाम को गाड़ी में सवार पीकर धुत्‍त ‘आप’ पार्टी के कुछ लोगों ने बादली में प्रचार टोली की स्‍त्री सदस्‍यों के साथ गाली-गलौज की और धमकियाँ दीं, फिर मज़दूरों के इकट्ठा होने पर वे वहाँ से चले गये!पहली बात, यही वह लोकतांत्रिक संस्‍कृति है, जिसकी केजरीवाल, सिसोदिया और योगेन्‍द्र यादव दुहाई देते नहीं थकते? मज़दूरों के नितान्‍त शान्तिपूर्ण आन्‍दोलन से इतनी बौखलाहट क्‍यों? आखिर मज़दूर माँग ही क्‍या रहे हैं? उनका मात्र इतना कहना है कि केजरीवाल ने मज़दूरों से जो वायदे किये थे, उन्‍हें पूरा करने के बारे में कुछ तो बोलें! वे तो सत्‍तासीन होने के बाद साँस-डकार ही नहीं ले रहे हैं।

मज़दूरों से किये गये एक भी वायदे की चर्चा भी नहीं की!

केजरीवाल ने पूरी दिल्‍ली से ठेका प्रथा को खत्‍म करने का वायदा किया था। अब उन्‍होंने इसकी तकनीकि जाँच के लिए एक समिति बना दी है, जिसकी कोई ज़रूरत नहीं थी। उन्‍हें करना सिर्फ इतना था कि सिर्फ एक दिन का विधान सभा सत्र बुलाकर इस आशय का विधेयक पारित करवा लेना था कि दिल्‍ली में कोई भी निजी या सरकारी नियोक्‍ता नियमित प्रकृति के काम के लिए ठेका मज़दूर नहीं रह सकता। इसके बजाये एक समिति बनाकर केजरीवाल ने मामले को टाल दिया है। समिति रिपोर्ट देगी और उसपर सरकार विचार करेगी, तबतक लोकसभा चुनावों की आचार संहिता लागू हो जायेगी।केजरीवाल ने कहा था कि निजी झुग्‍गीवासियों को पक्‍के मकान दिये जायेंगे और तबतक कोई झुग्‍गी उजाड़ी नहीं जायेगी। अब इस काम के लिए समय-सीमा बताना तो दूर, केजरीवाल कुछ बोल ही नहीं रहे हैं। यही नहीं, कांग्रेस सरकार के समय जिन झुग्‍गी बस्तियों का नियमतिकरण हुआ था, अब उनमें भ्रष्‍टाचार बताकर उस फैसले को पलटने की बात की जा रही है। यानी लाखों मज़दूरों को पुनर्वास की व्‍यवस्‍था के बिना उजाड़ने की भूमिका तैयार की जा रही है।केजरीवाल ने दिल्‍ली के सभी पटरी दुकानदारों और रेहड़ीवालों को लाइसेंस और स्‍थाई स्‍थान देने का वायदा किया था, उसके बारे में भी वे अब साँस-डकार नहीं ले रहे हैं।चुनाव प्रचार के दौरान मज़दूर बस्तियों में उनके उम्‍मीदवार सौ अतिरिक्‍त सरकारी स्‍कूल खोलने और वर्तमान स्‍कूलों के स्‍तर को ठीक करने का वायदा कर रहे थे। इस वायदें को भी ठण्‍डे बस्‍ते में डाल दिया गया।

केजरीवाल का भ्रष्‍टाचार-विरोध मज़दूरों के लिए नहीं है!

केजरीवाल की राजनीति की पूरी बुनियाद भ्रष्‍टाचार-विरोध पर टिकी है। फिलहाल हम इस बुनियादी प्रश्‍न पर नहीं जाते कि पूँजीवाद को पूरी तरह भ्रष्‍टाचार-मुक्‍त किया ही नहीं जा सकता, कि पूँजीवाद स्‍वयं में ही भ्रष्‍टाचार है और यह कि जनता को भ्रष्‍टाचार-मुक्‍त पूँजीवाद नहीं, बल्कि पूँजीवाद-मुक्‍त राज और समाज चाहिए। भष्‍टाचार कितनी अधिक धनराशि का है, इससे अधिक अहम बात यह है कि किस भ्रष्‍टाचार से व्‍यापक आम आबादी का जीना मुहाल है! दिल्‍ली की साठ लाख मज़दूर आबादी का जीना मुहाल करने वाला भ्रष्‍टाचार है — श्रम विभाग का भ्रष्‍टाचार। किसी भी फैक्‍ट्री या व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठान में मज़दूरों को न्‍यूनतम मज़दूरी नहीं मिलती, काम के तय घण्‍टों से अधिक काम करना पड़ता है, ओवरटाइम तय से आधी दर पर मिलता है, कैजुअल मज़दूरों का मस्‍टर रोल नहीं मिंटेन होना, सैलरी स्लिप नहीं मिलती, पी.एफ. इ.एस.आई. की सुविधा नहीं मिलती, फैक्‍ट्री इंस्‍पेक्‍टर, लेबर इंस्‍पेक्‍टर आदि दौरा नहीं करते, कारखाने स्‍वास्‍थ्‍य, सुरक्षा और पर्यावरण के निर्धारित मानकों का पालन नहीं करते! तात्‍पर्य यह कि किसी भी श्रम कानूनों का पालन नहीं होता। यदि केजरीवाल वास्‍तव में भ्रष्‍टाचार से आम लोगों को होने वाली परेशानी से परेशान हैं, तो सबसे पहले उन्‍हें श्रम विभाग के भ्रष्‍टाचार को दूर करना चाहिए। मज़दूरों की यही माँग है।लेकिन मज़दूरों के प्रति केजरीवाल की सरकार का रवैया क्‍या है? डी.टी.सी. के 20हजार ठेका कर्मचारियों और 10हजार अस्‍थाई शिक्षकों के धरने और अनशन को हवाई आश्‍वासन की आड़ में नौकरी छीन लेने और दमन की धमकी से समाप्‍त कर दिया गया। वजीरपुर कारखाना यूनियन के मज़दूर जब अपनी माँगों को लेकर सचिवालय पहुँचे तो बैरिकेडिंग करके पुलिस खड़ी करके उन्‍हें मंत्री से मिलने से रोक दिया गया और दफ्तर में केवल उनका माँगपत्रक रिसीव कर लिया गया। केजरीवाल का जनता दरबार तो हवा हो ही गया, अब उनके मंत्री जनता से मिलते तक नहीं।

‘आप’ के आम आदमी

ये ‘आप’ के आम आदमी हैं कौन? यूँ तो ऊपर भी विचित्र खिचड़ी है! केजरीवाल का एन.जी.ओ. गिरोह, किशन पटनायक धारा के समाजवादी योगेन्‍द्र यादव, राज नारायण धारा के समाजवादी आनंद कुमार, मंचीय नुक्‍कड़ कवि, घोर दखिणपंथी विचारों वाला कुमार विश्‍वास, ए.बी.वी.पी. से एन.एस.यू.आई. से भा.क.पा.(मा-ले) होते हुए यहाँ तक आये गोपाल राय तथा कमल मित्र शेनॉय, परिमल माया सुधाकर, बली सिंह चीमा, आतिशी मारलेना आदि-आदि भाँति-भाँति के, रंग-बिरंगे ”वामपंथियों” के साथ कैप्‍टन गोपी नाथ, नारायण मूर्ति और वी. बालाकृष्‍णन जैसे कारपोरेट शहंशाह…। ऐसी लोकरंजक राजनीतिक खिंचड़ी का असली रंग और स्‍वाद तो ग्रासरूट स्‍तर पर पता चलता है। केजरीवाल को मध्‍यवर्गीय इलाकों में आर.डब्‍ल्‍यू.ए. खुशहाल मध्‍य वर्गीय जमातों, कारोबारियों और आई.टी. – व्‍यापार प्रबंधन आदि पेशों में लगे उन युवाओं का समर्थन प्राप्‍त है, जो पारम्‍परिक तौर पर दक्षिणपंथी विचारों के और प्राय: भाजपा के वोट बैंक होते रहे हैं। लेकिन सबसे दिलचस्‍प दिल्‍ली की मज़दूर बस्तियों में देखने को मिलता है। वहाँ सारे छोटे कारखानेदारों, दुकानदारों, लेबर-कांट्रेक्‍टर के अतिरिक्‍त मज़दूरों को सूद पर पर पैसे देने वाले, कमेटी डालने वाले, मज़दूरों के रिहाइश वाले लॉजों-खोलियों और घरों के मालिक तथा प्रापर्टी डीलर और उनके चम्‍पुओं के गिरोह — यही आम आदमी की टोपी पहनकर मज़दूर बस्‍तियों में घूम रहे हैं। पिछले एक माह के अभियान के दौरान हमलोगों ने इस नंगी-कुरूप सच्‍चाई को बहुत गहराई से महसूस किया और झेला। सिर्फ एक उदाहरण ही काफी होगा। ‘बवाना चैम्‍बर ऑफ इण्‍डस्‍ट्रीज’ के चेयरमैन प्रकाशचंद जैन उत्‍तर-पश्चिमी दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी के एक अग्रणी नेता हैं। इनके साथ और भी कई फैक्‍ट्री मालिक, प्रॉपर्टी डीलर और ठेकदार हैं। कोई प्रकाश चन्‍द जैन से ही पूछे क्‍या उनके कारखानों में मज़दूरों को न्‍यूनतम वेतन, पी.एफ., ई.एस.आई. आदि दिया जाता है, क्‍या वहाँ श्रम कानूनों का पालन होता है? कमोबेश यही स्थिति दिल्‍ली के सभी औद्योगिक इलाकों और मज़दूर बस्तियों की है। इसके बावजूद, एन.जी.ओ.-सुधारवादियों और भाँति-भाँति के सामाजिक जनवादियों को तो छोड़ ही दें, आम आदमी पार्टी की झोली में यूँ ही जा टपकने वाले भावुकतावादी कम्‍युनिस्‍टों को अभी भी केजरीवाल की राजनीति का असली रंग नहीं दिख रहा है, तो निश्‍चय ही राजनीतिक काला मोतिया के चपेट में वे अंधे हो चुके हैं। या हो सकता है, वे पहले से ही अंधे रहे हों।आम जनता स्‍वराज और सड़क से सत्‍ता चलाने की रट लगाने वाले लोकरंजकातावादी मदारी अब सरकारी धोखाधड़ी और धमकी, पुलिसिया धौंसपट्टी और पार्टी कार्यकर्ताओं की दादागीरी का खुलकर सहारा ले रहे हैं। मज़दूरों की वर्ग दृष्टि एकदम साफ है। वह केजरीवाल के लोकरंजकतावाद की असलियत को अभी से समझने लगा है। वह कुछ कुलीनतावादी दिवालिये किताबी वामपंथियों की तरह मतिभ्रम-संभ्रम-दिग्‍भ्रम का शिकार नहीं है।कल 6 दिसम्‍बर को सचिवालय पहुँचकर दिल्‍ली के मज़दूर केजरीवाल की दहलीज पर याददिहानी की पहली दस्‍तक देंगे। यह अंत नहीं, महज एक नयी शुरुआत है।जो भी साथी दिल्‍ली के मेहनतकशों की इस आवाज के साथ है, वे भी कल उनके समर्थन में ज़रूर पहुँचें। कल ग्‍यारह बजे हम सभी राजघाट पर एकत्र होंगे और वहाँ से सचिवालय की ओर मार्च करेंगे।
आज कल किसी को कुछ करने का जैसे हक ही नही है.... अगर मंत्री जी किसी शादी मे नाचे तो क्या बुरा है...खबर तो इस तरह से छाप रहे है की जैसे ए इस देश मे पहली बार हुआ है.. क्या मंत्री बनने के बाद आदमी के अपने हक खत्म हो जाते है??...हद है.
आपको अगर सीट मिल भी जाए तो विकल्प बनोगे कैसे ? आपने तो एक बार केन्द्र मे वामपंथी सरकार बन ने का चान्स भी खो दिया है| याद आया सन 1996? जब आप लोगो ने ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बन ने नही दिया था| अब कौन प्रधानमंत्री बनेगा? प्रकाश करत? किस विकल्प की बात कर रहे हो यचुरी जी, वामपंथी तो हमेशा ही कॉंग्रेस के सहयोगी और पिछलग्गू रहे है, यहाँ तक कि एमर्जेन्सी के लगाने में भी ! पिछली यूपीए की सरकार के साथ भी थे ! आज भी अलग हैं तो सिर्फ इसलिये कि आपकी कॅल्क्युलेशन सही नहीं रही कॉंग्रेस ने मौके का फायदा उठाकर आपको बाहर मेंक दिया ! और आपके विकल्प जनता 1996-98 के दौरान देख ही चुकी है !
ओखला की टूटी सड़कों को ठीक ना कराए जाने के लिए ज़िम्मेदार MP संदीप दीक्षित, MLA आसिफ़ मोहम्मद ख़ान और कौंसिलर अमीरूद्दीन द्वारा अगर तुरंत सड़कों की मरम्मत नही कराई गयी तो इनके घरों का घेराव किया जाएगा ये घेराव उसी वक़्त समाप्त होगा जब सड़कों के मरम्मत का काम शुरू हो जाएगा, आप सभी से गुज़ारिश है की इस धरने की सूचना अपने सभी दोस्तों को दें और शिरकत करें
देश के लोग किसी को भी वोट करे सोच समझ कर करे. ऐसी पार्टी को वोट करे जो देश मे एक स्टेबल सरकार बना सके जब देश की बात है तो बड़ी पार्टी को वोट करना चाहिये. कांग्रेस को लोगो ने 60 साल से देख लिया है. एक मौका मोदी जी को देना चाहिये . छोटी-मोटी पार्टी अगर जीत भी गई तो वा सरकार तो बना नही सकती .लिहाजा स्टेबल सरकार नही बन सकती. जय हिन्द
वाम मोर्चा तो सभी से गठबंधन कर सकता है लेकिन जिन पार्टिओ का नाम श्री येचुरी ले रहे है वो भी इनके साथ आयेगी. श्री येचुरी एक पार्टी का नाम भूल गये आप पार्टी वो तो इनके साथ जरूर आ जायेगे. वाम दलो की स्थिति आज देश मे क्या है सब जानते है. सपने देखने से कोई किसी को रोक नही सकता चाहे सपने हसीन हो या डरावने.
आप नेता ने कहा कि वह समय-समय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर गडकरी की पोल खोलती रहेगी। उन्होंने कहा कि आप महाराष्ट्र की सभी 48 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। अंजलि ने कहा कि उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया जल्द ही शुरू कर दी जाएगी।
कितना हास्यपाद है कि जिस पर खुद जाली तरीके से जमीन हड़पने के मामले में भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हो चुके हों और उसके बाद उससे वो हड़पी हुई जमीन सरकार द्वारा वापस ले ली गयी हो वो किसी और के भ्रष्टाचार की पोल खोलने की बात करता है !!सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के अवतार केजरी ने मीडिया के सामने बड़े जोर शोर से अनाउन्स किया था कि दामनिया के जमीन घोटाले की जांच दो रिटाइर्ड जजों को सोंप दी गयी है और एक महीने में रिपोर्ट आने के बाद अवश्य कार्यवाइ होगी ! अब तो एक साल से भी उपर हो गया , कहाँ है रिपोर्ट और कहाँ गई कार्यवाइ ????
दिल्ली में कॉंग्रेस के कुशासन की कीमत पर "आप" को जगह क्या मिल गई वह अब हर जगह पुराने जन आन्दोलनों से जुड़े लोगों को हडप जाना चाहती है.
डॉन अबू सलेम ने चलती ट्रेन में की शादी........
यह प्यार की जीत नही है यह एक बहुत बड़ी साजिश है, लोग इसे समझ नही पा रहे है, यह एक चाल है, शादी इस लिये की गई है जिस से अब्बू अपनी संपत्ती किसी के नाम कर सके. किसी को वारिस बना सके.