शनिवार, 24 मार्च 2018

चोरों के गिरोह को दबोचने में माना पुलिस को मिली सफलता

चोरों के गिरोह को दबोचने में माना पुलिस को मिली सफलता



अकोला जिले के रहने वाले एक किसान का ट्रेक्टर चोरी हो गया था जिसकी शिकायत उसने माना पुलिस स्टेसन में की थी शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस ने तहकीकात शुरू की और चोर को गिरफ्तार कर ट्रेक्टर को भी बरामद कर लिया ।

माना पुलिस थाने में २६ अक्टूबर को राजुरा सरोदे निवासी रामेश्वर आकाराम सरोदे ने शिकायत दर्ज कराई थी कि अज्ञात चोरों ने उनका  ३ लारव कीमत का ट्रैक्टर चुरा लिया ၊ वहीं विवाद मुक्ति समिति के अध्यक्ष दीपक.सरोदे रोटा रोटर कीमत १ लाख का पार कर दिया ၊ इस शिकायत के बाद जिला पुलिस अधीक्षक एम राकेश कलासागर , अपर पुलिस अधीक्षक विजयकांत सागर , उप विभागीय अधिकारी कल्पना भराडे  के मार्गदर्शन में थानाधिकारी घुगे  पुलिस उपनिरीक्षक राजेश जोशी , पुलिस कर्मचारी नंदकिशोर टिकार , सचिन दुबे, निलेश इंगले, तायडे , संदीप पवार ने जाल बिछाकर चोरों के गिरोह को गिरफ्तार कर उनके पास से ३ लाख कीमत का ट्रैक्टर जब्त किया गया   ၊ पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों में मंगेश राजु मोहोड, आकाश निरंजन मोहोड, संतोष रामेश्वर रविराव , अविनाश  अजाबराव वानखडे, अर्जुन मेघराज पवार , अब्दुल तहसीन अब्दुल मतीन को गिरफ्तार कर लिया၊ पुलिस को संदेह है कि इन आरोपियों से और भी चोरी का माल बरामद हो सकता है।
बोल उठती है तस्वीर भी.....🌹🍂🌹*
*मन से बुला कर देखिये*
*दिल की बात ज़रा प्रभु को*
*सुना कर देखिये*
*देते है वो सबकी बातों का जवाब*
*दुःख अपने दिल का उनको*
*बता कर देखिये.....*
*होगा इक रोज़ तुमको भी*
*किस्मत पे अपनी नाज़*
*चरणों में उनके सिर को झुका कर देखिये....

कमाल है सबको मोदी मुक्त भारत तो चाहिये

कमाल है सबको मोदी मुक्त भारत तो चाहिये
लेकिन किसी को भी👇
अपराध मुक्त,
भ्रष्टाचार मुक्त,
रिश्वत खोरी मुक्त,
कश्मीर समस्या मुक्त,
जातिवाद मुक्त,
धार्मिक राजनिती मुक्त,
#इस्लामिक_आतंकवाद मुक्त,
#राम_मंदिर_युक्त
#सबका_साथ_सबका_विकास युक्त
भारत किसी को नही चाहिये 

पीएम मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बाद समर्थन में आया ये बड़ा सुपरस्टार, नायडू को लेकर किया बड़ा खुलासा

रेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव लाने का TDP यसर,AIMIM कांग्रेस पार्टी जोर शोर से लगी हुई है. जिसके समर्थन में सभी विरोधी एक जुट हो गए हैं. जिसके चलते हर दिन सदन में सिर्फ हंगामा हो रहा है, जिसके चलते आज लगातार 13वे दिन शोर हंगामे के चलते संसद स्थगित की गयी.
आम जनता के करोड़ों रूपए हो रहे बर्बाद
दरअसल इन राजनितिक पार्टियों ने संसद का मज़ाक बना के रख दिया है हर दिन लोकसभा के एक घंटे के एक करोड़ और राज्यसभा के एक घंटे के एक करोड़ रूपए बर्बाद हो रहे हैं TDP के इस हंगामे की वजह से. ये आम जनता का पैसा है जिसके चलते संसद में सुबह से हल्ला करना शुरू करते है और फिर चुपचाप अपने घर चले जाते हैं. संसद तो ठप्प रहती है लेकिन सांसदों को उनकी लाखों रूपए सैलरी(भत्ता मिलाके) महीने के अंत में पूरी मिल जाती है.
तो वहीँ अब मोदी सरकार के सभी विरोधी के एकजुट होने और TDP के अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी के समर्थन में ये सुपरस्टार आ गया है जिसने TDP को लेकर बड़ा खुलासा किया है. इससे पहले खुद चंद्रबाबू नायडू ये कह चुके हैं कि अगर बीजेपी से गठबंधन नहीं तोड़ते तो मुस्लिम वर्ग नाराज़ हो जाता.
TDP के खिलाफ आवाज़ उठायी सुपरस्टार पवन कल्याण ने
अभी मिल रही ताज़ा खबर के मुताबिक टॉलीवुड सुपरस्टार और जनसेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण ने चंद्रबाबू नायडू सरकार के भ्रष्टाचार की जांच के लिए मोदी सरकार से मांग की है. उन्होंने कहा है कि चंद्रबाबू नायडू की जानकारी में हो रहा है बड़ा करप्शन.
भ्रष्टाचार की सारी जानकारी है
पवन कल्याण ने खुलासा किया है कि चंद्रबाबू नायडू को भ्रष्टाचार की सारी जानकारी है और खुद टीडीपी के कुछ मंत्रियों और करीब 40 विधायकों ने उन्हें चंद्रबाबू नायडू के बेटे लोकेश और टीडीपी नेताओं के भ्रष्टाचार में शामिल होने की जानकारियां दी हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
नायडू की जानकारी में सारा भ्रष्टाचार चल रहा है
पवन ने आगे कहा “‘मैंने अचानक चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ बोलना शुरू नहीं किया. मैं 4 साल से चुप नहीं बैठा था. मैंने सीएम चंद्रबाबू नायडू को कई बार आंध्रप्रदेश में चल रहे भ्रष्टाचार के बारे में सावधान करने की कोशिश की, लेकिन वो करप्शन खत्म करने को लेकर गंभीर नहीं हैं. चंद्रबाबू नायडू की जानकारी में सारा भ्रष्टाचार चल रहा है.”
पोलावरम प्रोजेक्ट के निर्माण का काम प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर को इसी वजह से दिया जा रहा है. चंद्रबाबू नायडू केंद्र को गुमराह करते रहे हैं. आंध्र प्रदेश के लोगों को भ्रष्टाचार साफ दिख रहा है. मैं भी कोई बाहरी नहीं हूं. मुझे भी समझ आता है. कुछ मंत्रियों और 30-40 विधायकों ने आकर खुद आंध्र प्रदेश में चल रहे भयानक भ्रष्टाचार की शिकायत की थी. वो चाहते थे कि मैं सीएम को समझाऊं. मैंने कोशिश भी की, लेकिन चंद्रबाबू नायडू भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर बिलकुल गंभीर नहीं हैं. इसलिए मुझे बोलना पड़ा. अब केंद्र सरकार को हरकत में आना चाहिए. फंड्स की धांधली की जांच होनी चाहिए’.
मोदी सरकार से मिल रहे धन का ज़बरदस्त दुरूपयोग हुआ
पवन कल्याण ने सनसनीखेज़ खुलासा करते हुए कहा आंध्रप्रदेश को जो मोदी सरकार से धन मिला है, उसका जबरदस्त दुरुपयोग किया गया है. पैसों का सही इस्तेमाल नहीं हुआ. आंध्र की नई राजधानी को लेकर सही काम नहीं हुआ. पवन कल्याण का आरोप है कि नई राजधानी बनाने के नाम पर बहुत सारा पैसा उड़ा दिया गया.
2014 में आंध्र में टीडीपी-बीजेपी सरकार के लिए वोट जुटाने वाले पवन कल्याण की खासी भूमिका रही थी और तभी से पवन कल्याण पीएम मोदी के करीबी माने जाते रहे हैं. पवन कल्याण का कहना है कि आंध्र प्रदेश में लोग TDP से बहुत ज्यादा नाराज हैं. क्यूंकि TDP ने बीजेपी की तरफ से दिए जा रहे करोड़ों की आर्थिक मदद को लेने से इंकार कर दिया था.
दरअसल तेदेपा आंध्र के लिए विषेश दर्जे पर अड़ी हुई जबकि नए नियम के मुताबिक विशेष दर्जा केवल पूर्वोत्तर राज्यों को ही दिया जा सकता है. लेकिन फिर भी विशेष राज्य बनने पर भी जो 90 फीसदी रकम मिलती है वो बीजेपी देने को तैयार है. यहाँ तक की पीएम मोदी से सीधा फोन पर भी बात करने से नायडू नहीं माने उन्होंने YSR पार्टी को समर्थन देने की बात कही. जबकि YSR खुद ममता बैनर्जी से मदद मांग रही है.
बीजपी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि ‘जनता की राय आंध्र प्रदेश सरकार और TDP के खिलाफ जा रही है। वो खुद को 2019 में हारते हुए देख रहे हैं और अपनी इस हार का दोष हम पर मढ़ना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा ‘आंध्र प्रदेश के सीएम को ये समझने में 4 साल क्यों लग गए कि गठबंधन काम नहीं कर रहा है। आंध्र बीजेपी का अगला त्रिपुरा होगा।’

बीजेपी की 2019 की राह आसान नही

बीजेपी की 2019 की राह आसान नही
बीजेपी की सात कमजोर कड़ी
मोदी सरकार की सबसे बड़ी सात कमजोर कड़ी है अगर इस पर विश्लेषण किया जाए तो बीजेपी को 2014 जैसी 282 सीट मिलना मुश्किल दिखाई दे रहा है । कुछ भी हो सकता है कहा नही जा सकता 282 सीटे मिल भी सकती हैं ।|इतिहास खुद को दोहराता भी है। इन सात कमजोर कड़ी के चलते बीजेपी को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। बीजेपी को 2014 में 282 सीटों पर विजय मिली थी । बीजेपी को घेरने के लिए 2019 में उत्तर प्रदेश और बिहार में विपक्षी दलों ने पासा फेक दिया है । एक तो 2014 जैसी मोदी लहर अब नही राह गयी है। दो - बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में अभी की हालात के अनुसार 180 से अधिक सीटें मिल सकती हैं । तीन, संयुक्त विपक्ष उनके वैचारिक मतभेद होने के बाद भी सत्ता में आ सकते हैं अगर सभी दल अपना सभी मतभेद भुलाकर एकजुट हो जाएं तब ये हो भी सकता है । अभी चुनाव होने में एक साल बचे हैं एक साल पहले अनुमान लगाना सही भी नही है लेकिन आज के हालात ऐसे ही बने हुए हैं और एक साल बाद भी ऐसे ही हालात रहे तो बीजेपी के लिए दुबारा सत्ता में आना मुश्किल दिखाई दे रहा है। क्या बीजेपी इस हालात में भी 2014 की तरह 282 सीट 2019 में भी जीत सकती है। 2014 में कांग्रेस विरोधी लहर और मोदी लहर चल रही थी। इस सुनामी मोदी लहर में बीजेपी उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में अच्छा प्रदर्शन किया । 2019 के चुनाव में ऐसी सुनामी लहर दिखाई नही दे रही है और इस तरह की चुनावी सुनामी लहर अब दुर्लभ हैं। यहां तक ​​कि सहानुभूति की लहर मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या की वजह से कांग्रेस को मिली थी जिसके चलते कांग्रेस लोकसभा में बहुमत के करीब पहुच गयी थी । इस सहानुभूति की लहर में भी कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नही मिला था प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव पांच साल तक एक अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर के अपना कार्यकाल पूरा किया था । उसके बाद के लोकसभा चुनाव जब हुए तो किसी भी दल को बहुमत नही मिला उस समय प्रधानमंत्री के रूप में एच.डी. देवेगौड़ा ने, बाहर से कांग्रेस का समर्थन लेकर 1996 में अपनी पहली खिचड़ी संयुक्त मोर्चा सरकार बनाई थी। क्या इतिहास 2019 में दोहराएगा ? मायावती, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, एमके स्टालिन, शरद पवार, असाउद्दीन ओवैसी , उमर अब्दुल्ला और सीताराम येचुरी सब एक होंगे यदि ऐसा होता है तो बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है क्या सभी मिलकर एक नई संयुक्त मोर्चा सरकार का गठन कर पाएंगे। क्या कांग्रेस इस खिचड़ी सरकार के निर्माण की निगरानी करेगी , क्या इन लोगों को समर्थन देगी जाहिर है, की महाराज तो राहुल गांधी ही है। क्या राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस का अंत आ गया है? कैसे कांग्रेस नई लग रही संयुक्त मोर्चा की दर्जन से ज्यादा नेताओं में से टकरायेगी या उनसे गठबंधन करेगी । क्या कांग्रेस इन सभी लोगों पर नियंत्रण रख पाएगी क्यों कि 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी बनेगा ? टीएमसी की ममता बनर्जी और टीआरएस 'KCR एक गैर भाजपा, गैर कांग्रेसी तीसरे मोर्चे (TF) स्थापित करने के लिए योजना बना रहे हैं। क्या बना पाएंगे ? अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत होगी ।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक और केरल इन सात प्रदेशों में महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों पर कांग्रेस विजय प्राप्त करने की उम्मीद कर सकती हैं। दो (पंजाब एवं हरियाणा) में एक (केरल) में और बहुध्रुवीय प्रतियोगिताओं में इन राज्यों के चार में भाजपा के साथ द्विआधारी प्रतियोगिताओं में बंद कर दिया जाता है, वाम के साथ। जब कांग्रेस ने 1996 में बाहर से समर्थन देकर देवेगौड़ा की सरकार बनाई थी उस समय कांग्रेस की 140 लोकसभा सीट थी । विभिन्न दलों से बना यूएफ 192 सीटें और भाजपा ने 161 सीटें थीं। 2019 में अगर संयुक्त विपक्ष (संयुक्त मोर्चा के साथ साथ तीसरे मोर्चे) होने की संभावना थोक में टीएमसी, टीआरएस, द्रमुक, सपा और बसपा के साथ 120-140 सीटों पर जीत जाते हैं तो राकांपा, एनसी, AIMIM और वाम की तरह मिश्रण में छोटे दलों संख्या ऊपर होगा। बिहार में लालू प्रसाद के राजद,-चुनाव द्वारा हाल ही में अररिया और जहानाबाद में अपनी जीत (लेकिन भभुआ में हानि) के बावजूद, 2019 लोकसभा चुनाव अभी तक एक और धोखाधड़ी मामले में लालू के जेल जाने को देखते हुए दो अंकों में आने की संभावना नहीं है। सहानुभूति कारक पतली पहन सकते हैं। त्रिशंकु संसद यूएफ-TF में 120-140 सीटें गठबंधन और कांग्रेस के लिए 90 सीटें, महागठबंधन के लिए 210-230 सीटों के कुल के साथ, 2019 लोकसभा चुनाव में स्पष्ट रूप से एक त्रिशंकु संसद का उत्पादन करेगा। अभी तक जो हालात हैं उस हिसाब से परिकल्पना है कि भाजपा 180-200 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। कुछ विश्वसनीय सहयोगी दलों के साथ, भाजपा नेतृत्व वाली राजग इस प्रकार 240 सीटों को पार करने में असमर्थ होंगे। बीजद, अन्नाद्रमुक, तेदेपा और निर्दलीय स्वाधीन दल बाकी सब किंगमेकर बन सकते हैं । क्या 2019 में 17 वीं लोकसभा इस तरह हो सकती है। एनडीए 240 सीट कांग्रेस के नेतृत्व वाली महागठबंधन (यूनाईटेड फ्रंट+ थर्ड फ्रंट) 220 सीट दूसरे दल 85 सीट। अगर ऐसा होता है तो 2019 में बीजेपी की राह आसान नही है ।मोदी ने सात महत्वपूर्ण त्रुटियां की हैं जो भाजपा को नुकसान पहुँचा सकती हैं। सबसे पहले, एनडीए सहयोगियों को विमुख करना दूसरा, केन्द्रीय मंत्रिमंडल में गलत पोर्टफोलियो का आवंटन (अरुण जेटली बेहतर विदेश मंत्री और सुषमा स्वराज एक बेहतर गृह मंत्री हो सकते थे । लेकिन इन को ये पोर्टपोलिओ नही मिला । महेश शर्मा, हर्षवर्धन, राधा मोहन सिंह और उमा भारती जैसे मंत्रियों ने खुद का प्रदर्शन अच्छा नहीं किया है)। तीन, गाय जागरूकता से लेकर पार्टी के सांसदों की विभागीय टिप्पणियों के बीच के मुद्दे पर चुप रहना।
चार, पीएमओ या विदेश मंत्रालय द्वारा हर प्रमुख देश के रूप में दैनिक मीडिया ब्रीफिंग नहीं लेते- और भारत के रूप में जब सैयद अकबरुद्दीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता थे पांच, मजबूत प्रश्नोत्तर सत्रों के साथ नियमित प्रेस सम्मेलनों में खुद को प्रस्तुत नहीं करना।
छह, यूपीए के अपराधियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को धीमा करने के लिए नौकरशाही की अनुमति ना देना । सात, पाकिस्तान पर एक असंगत नीति के बाद मोदी सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियां - और बहुत से हैं।
क्या राहुल गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस का कहना है कि 90 सीटों से यूपी + टीएफ सरकार को बाहर से समर्थन देने के लिए तैयार रहना चाहिए? महागठबंधन में रहना चाहिए ।

ABP Viral सच ने उजागर किए

ABP Viral सच ने उजागर किए ...
कांग्रेस के फैलाये गए 4 झूठ ..
पहला ये कि ललित मोदी की वकील सुषमा स्वराज की बेटी थी जबकि उसका वकील था -महमूद आब्दी
दूसरा झूठ ये फैलाया गया कि नीरव मोदी की वकील जेटली की बेटी है जबकि उसका वकील-विजय अग्रवाल..
तीसरा झूठ मोदी जी गोरखपुर हार के बाद वाराणसी से चुनाव नही लडेंगे
चौथा फोटो जिसमें राजनाथ सिंह के शूज की लेस पोलिस अधिकारी बांध रहा है
सभी झूठ साबित हूए 😯

बीजेपी को हराए जाने की स्थिति में देंगे कांग्रेस का साथ: प्रकाश करात

बीजेपी को हराए जाने की स्थिति में देंगे कांग्रेस का साथ: प्रकाश करात
सीपीएम (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया) के पूर्व सचिव प्रकाश करात ने कहा है कि बीजेपी को रोकने के लिए जो भी करने पड़े वो करेंगे, फिर चाहे कांग्रेस से ही हाथ क्यों ना मिलाना पड़े. बता दें कि कुछ दिनों पहले ही प्रकाश करात ने पार्टी मीटिंग में कहा था कि वो कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेंगे और चुनाव में अकेले लड़ेंगे.
सीपीएम के मुखपत्र 'पीपुल्स डेमोक्रेसी' में करात ने एक संपादकीय में लिखा है कि यूपी के उपचुनाव भविष्य के लिए सीख हैं कि बीजेपी को कैसे हराया जा सकता है. अगर सभी बड़ी गैर-बीजेपी पार्टीयां एक साथ आ जाए तब जाकर छोटी पार्टियां अपना समर्थन देने में आगे आएंगी. लेफ्ट पार्टी ने साल की शुरुआत में एक ड्राफ्ट तैयार किया था जिसमें कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज कर दिया था.
अब पार्टी के दूसरे धड़े ने मान लिया है कि विपक्ष के वोटों के बंटवारे से सीधा फायदा बीजेपी को हो रहा है. इसके लिए हमें क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की जरुरत हैं जिससे बीजेपी की जीत के रथ को रोका जा सके.
जिस प्रकार कांग्रेसियों को गलतफहमी है कि
चरखे से आजादी आई थी..
ठीक उसी प्रकार अन्ना हजारे को भी
गलतफहमी हो गई है कि उसके अनशन से
मोदी सरकार गिर जाएगी