शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

हत्या के मामले में करीब 12 साल जेल में सज़ा काटने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों से किया निर्दोष मुक्त


मुम्बई कल्याण के रहने वाले उमेश पडवल और प्रविण जगन्नाथ गोडसे अपने पड़ोस में रहने वाले का प्रत्यक्षात रूप से हत्या न करने पर 11 साल 7 महीने की सज़ा जेल में काटने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों को सभी आरोपों से निर्दोष मुक्त कर दिया है । जब इन दोनों को गिरफ्तार किया गया था तो उमेश की उम्र 20 वर्ष और प्रवीण की उम्र 18 साल की थी ।

उमेश और प्रवीण जगन्नाथ काला तालाब के पास स्थित शिव मंदिर के पीछे काटकर चाल में रहते थे । नाशिक जिले के तालुका पेढ के सदरपाढा से एक बेरोजगार युवक का अपहरण कर उसकी हत्या करने के आरोप में कल्याण सत्र न्यायालय ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी । इसके खिलाफ दोनो आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील किया हाईकोर्ट ने भी सत्र न्यायालय की सज़ा को ही मंजूरी दे दी थी ।हाईकोर्ट से भी इन दोनों को कोई राहत नही मिली थी । फिर इन दोनों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया । इनकी अपील को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर किया और न्यायाधीश एन व्ही रमणा,  मोहन शांतना गोदुर व न्यायाधीश अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने दोनों को सभी आरोपों से निर्दोष मुक्त कर दिया । इस  मामले में  जुलाई 2002 से अभी तक 11 साल 7 महीने जेल में रहने के बाद अगस्त 2014 में हाईकोर्ट ने दोनों को 25 25 हजार की जमानत दिया था । इस प्रकार से इन दोनों का तरुण की उम्र जेल में ही कट गई इस समय इनकी उम्र 38 और 35 है । यह पूरा मामला परिस्थिति के सबूत पर आधारित था  पूरे आरोपपत्र में यही दोनो आरोपी हैं और अपहरण कर के हत्या किया है कोई भी सबूत मिला नही और यही आरोपी है यह भी साबित नही हुवा । मुरबाड के पास गोरक्ष गडा के पास एक पेड़ से अजीब स्थिति में अटका हुआ ज्ञानेश्वर का शव मिला था और उसके शव को उमेश ने दिखाया था ऐसा झूठा सबूत कल्याण के बाजार पेठ पुलिस स्टेसन ने तैयार कर न्यायालय में पेश किया था ।

क्या था मामला 

विवाहित और बेरोजगार ज्ञानेश्वर प्लंबर का काम करता था उसका मामा जयराम कल्याण के काला तालाब इलाके में रहता था । जयराम उमेश से इसलिए मिला था कि उमेश उसके भांजे ज्ञानेश्वर को  वासिन्द स्थित जिंदल कंपनी में नौकरी लगा देगा जब जयराम ने अपने भांजे को नौकरी लगाने के लिए उमेश से  कहा तो उमेश ने कहा कि उसके लिये 60 हजार रुपया लगेगा । इस बात को जयराम ने ज्ञानेश्वर को बताया था । और पैसे का इंतजाम करने के लिए गांव चला गया गन्ने को बेचकर उसने उमेश को पैसे दिए इसके बाद उमेश ने कहा कि  ज्ञानेश्वर  को लेकर मैं वासिन्द जिंदल कंपनी जाता हूं ऐसा कह कर वह लेकर चला गया ।उस रात को ज्ञानेश्वर घर पर नही आया तो जयराम ने उमेश से उसके बारे में पूछा कि ज्ञानेश्वर अभी तक घर पर नही आया हैं तो उमेश ने कहा कि कंपनी से वापस आने के समय वासिन्द रेलवे स्टेसन पर ज्ञानेश्वर ने कहा कि मुझे और कही जाना है मैं वहां जाकर आता हूं । शुरुवात में ज्ञानेश्वर की शिकायत गुमशुदा की थी फिर बाद में उमेश और प्रवीण जगन्नाथ पर ठगी, अपहरण, और हत्या का मामला पुलिस ने दर्ज किया था ।

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