मनमाना किराया वसूले जाने के खिलाफ मुंबई में ऑटोरिक्शा और टैक्सी चालकों का बहिष्कार करने के लिए गुरूवार को शुरू किया गया अभियान असफल रहा है, क्योंकि ज्यादातर लोगों के पास यात्रा के अन्य साधनों का विकल्प नहीं है.......
मुंबई के लोगों ने विज्ञापन एजेंसी के तीन कर्मचारियों द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन को हालांकि पूरा समर्थन दिया था लेकिन जिन लोगों के पास अपने वाहन नहीं हैं उन्हें ऑटो या टैक्सी का ही सहारा लेना प़डा है..............
मुंबई में रहने वाले लोग सही मायने में इन लोगों की मनमानी से पूरी तरह से त्रस्त हैं ...फिर भी मजबूरी है की करे तो करें क्या .....सभी लोगों का यही कहना है की ,बसों के लिए लगने वाली लाइन बहुत लंबी होती हैं। दफ्तर सही वक्त पर पहुँचाना है तो रिक्शा करना प़डता है कई लोगों का यह भी कहना है की , शाम को बस से घर जाया जा सकता है , लेकिन सुबह देर होने के डर से ऎसा नहीं हो सकता......... कुछ लोगों ने छोटी दूरी के लिए पैदल चलना ही उचित समझा......
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