देश भले ही महात्मा गाँधी का जन्मदिन मना रहा हो लेकिन यदि आज महात्मा गाँधी हमारे बीच होते तो देश की हालत पर जरूर तरस खाते ..... गाँधी जी ने घर बार त्याग किया... भूखे प्यासे रहे ताकि आने वाली पीढियों को सुनहरा भविष्य मिले, लेकिन आज हालात ऐसे है की आम आदमी तो दूर ... गाँधी जी के पोते पोतिया भी साफ़ पानी पीने को तरस रहे है.............
पानी पीने से पहले ग्लास में देखते और बापू की तस्वीर को देखकर अपने हाल को देखकर तरस खाते.. यह है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते तुषार गाँधी | तुषार मुंबई के सान्ताक्रुज़ इलाके में रहते है और पिछले कई महीनो से साफ़ पानी के लिए तरस रहे है..... मुंबई को पानी सप्लाई करनेवाली सभी झीले भरी होने के बावजूद इलाके में पानी दिन के कुछ घंटो के लिए उस समय आता है जब घर में कोई नहीं रहता.... पानी में गन्दगी और दुर्गन्ध ऐसा की बिना प्यूरीफायर के पीना और खाना बनाना मुस्किल...........................
तुषार ने इस बात की शिकायत बी.एम्.सी. और स्थानीय नगरसेवक से की लेकिन जो जवाब मिला उसे सुनकर हर कोई हैरत में पड़ जाएगा......... तुषार को जवाब मिला की झीले भरी होने के बावजूद पानी पूरी तरह से सप्लाई इसलिए नहीं किया जा सकता, क्यों की फ़ोर्स में पानी छोड़ने से ५० साल पुरानी पाईप लाइन फट जाएगी और सप्लाई ठप पड़ जायेगी जो पाइप लाइन ब्रिटिशो ने बिछाई थी आज भी मुंबई उसी पर टिकी हुयी है , आजादी के बाद फिर प्रशाशन ने क्या किया ?
तुषार इस बात को कहने में अब हिचकिचाते नहीं की ब्रिटिशो के कुछ सिस्टम आज से बहुत बेहतर थे........... गाँधी जी के विरोध प्रदर्शन के तर्ज पर लोगों को अपने हक़ के लिए एक दिन विरोध करना ही होगा....................
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