बुधवार, 28 जुलाई 2010

पूछते हो तो सुनो कौन हू मै

पूछते हो तो सुनो कौन हू मै


चन्द सिमटे हुए अशार् हू मै

सिर्फ़ तारीफ़ से यहा कुछ नही होता

आपकी दुआओ का तलबगार् हू मै

बयान्-ए-दिल पेश करता हू जब

लोग कहते है दिल-ए-बीमार हू मै

बोलू अगर खरा तो हू शमशीर

और अगर लिख डालू तो तलवार हू मै

तारीफ़ करने पर अगर उतर आऊ कभी

तो गुलफ़ाम हू मै, गुलज़ार हू मै

जज़्बात को सवारना जानता हू बहुत खूब

शायरी का सरताज हू, शहकार हू मै

लफ़्ज़ो से यू खेलना सबको नही आता

मुझे आता है, समझदार हू मै

है और भी खासियते मेरी दोस्तो

मिलो, बताने को तैयार हू मै.

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