मुंबई:- छत्रपति शिवाजी महाराज का वारिश का कहा जाने वाला महाराष्ट्र राज्य देश की राजनीति में हमेशा केंद्र बिंदु में रहता है। महाराष्ट्र राज्य की स्थापना होने से अभी तक राज्य में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। इसके बाद कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने मिलकर अनेको वर्षों तक राज्य में शासन किया है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के अभेद्य किला में सेंध लगाने की कोशिश भाजपा शिवसेना युती ने अनेको बार किया इसके बावजूद मात्र एक अपवाद को छोड़कर अपना गढ़ कांग्रेस राष्ट्रवादी ने अपने पास ही रखा 2014 में मोदी लहर के चलते भाजपा शिवसेना ने राज्य विधानसभा में भगवा लहराया और राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस आसीन हुए । 2019 विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गयी है राज्य में दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए देवेंद्र फडणवीस प्रयत्न कर रहे है शिवसेना भी मुख्यमंत्री पद के लिए आतुर है राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस में मुख्यमंत्री बनने का सपना पीछे रह गया है राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला राज्य के मतदाता करेंगे
राज्य में नाईक सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री
कांग्रेस के वसंतराव नाईक 11 साल 77 दिन महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रहे इसके बाद विलासराव देशमुख 7 वर्ष 123 दिन मुख्यमंत्री पद पर रहे।विशेष रूप से शरद पवार 6 वर्ष 123 दिन मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे नाईक सबसे ज्यादा समय तक राज्य के मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे वसंतदादा पाटील और शरद पवार 4 बार अलग अलग समय में मुख्यमंत्री थे। शंकरराव चव्हाण और अशोक चव्हाण पिता पुत्र दोनों 2 बार मुख्यमंत्री रहे विलासराव देशमुख 2 बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
नारायण राणे को मिला 258 दिन का मुख्यमंत्री पद
नारायण राणे 258 दिन राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रहे शिवाजी पाटिल निलंगेकर 276 मुख्यमंत्री पद पर रहे भाजपा शिवसेना युती के आखरी समय मे राणे को मुख्यमंत्री पद दिया गया था शिवाजी पाटील निलंगेकर पर अपनी बेटी को परीक्षा में ज्यादा नंबर दिलाने का आरोप लगा था जिसके कारण उनको मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा कई पूर्व मुख्यमंत्री राज्य में अभी भी सक्रिय है महाराष्ट्र राज्य की स्थापना होने से अभी तक 17 मुख्यमंत्री हुए है इसमें से 9 मुख्यमंत्रियों की मृत्यु हो गयी है । शरद पवार, शिवाजीराव पाटील निलंगेकर, सुशील कुमार शिंदे, नारायण राणे,अशोक चव्हाण,पृथ्वीराज चव्हाण ये सभी पूर्व मुख्यमंत्री राजनीत में अभी भी सक्रिय है मनोहर जोशी सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा नही की है फिर भी वो राजनीति के हासिये पर चले गए है ।
पश्चिम महाराष्ट्र ने दिया 6 मुख्यमंत्री
राज्य को सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री देनेवाला पश्चिमी महाराष्ट्र है पश्चिम महाराष्ट्र से 6 मुख्यमंत्री महाराष्ट्र को मिले है जिसमे यशवंतराव चव्हाण,वसंतदादा पाटील, बाबासाहेब भोसले,शरद पवार,पृथ्वीराज चव्हाण, और शुशील कुमार शिंदे का समावेश है कोकण से नारायण राणे और ए आर अंतुले मुख्यमंत्री बने मराठावाड़ा से शंकरराव चव्हाण और शिवाजीराव पाटील निलंगेकर, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री हुए विदर्भ क्षेत्र से मारोतराव कन्नमवार, वसंतराव नाईक, सुधाकरराव नाईक और देवेंद्र फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री बने मुंबई से एक मात्र मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने थे ।
विरोधी पक्ष नेता सत्ताधारी पक्ष में जाकर मंत्री बना
सत्ता पर अंकुश लगाने के लिए विरोधी पक्ष नेता का होना आवश्यक हैं ऐसा कहा जाता है इसके बावजूद केवल देवेंद्र फडणवीस सरकार के समय विधानसभा में तत्कालीन विरोधी पक्ष नेता राधाकृष्ण विखे पाटील ने सत्ताधारी पक्ष में शामिल होकर मंत्री बन गए ये भारतीय राजनीति में पहला अवसर है 2005 में नारायण राणे ने भी विरोधी पक्ष नेता होते हुए भी सत्ताधारी कांग्रेस का हाथ पकड़ा था उसके तुरंत बाद मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया विशेष रूप से 1985 में शरद पवार समाजवादी कांग्रेस के विरोधी पक्ष नेता थे उन्होंने समाजवादी कांग्रेस पार्टी को कांग्रेस में विलीन कर सत्ता का स्वाद चखा था 2004 में शिवसेना के एकनाथ शिंदे थोड़े समय के लिए विरोधी पक्ष नेता की भूमिका में थे उसके बाद शिवसेना भाजपा सरकार में शामिल हो गयी और वे मंत्री बने।
अभी तक सिर्फ 2 बार राज्य में लगा था राष्ट्रपति शासन
महाराष्ट्र राज्य की स्थापना से लेकर अभी तक सिर्फ 2 बार राष्ट्रपति शासन लगा है । 17 फरवरी 1980 से 9 जून 1980 कुल 112 दिन राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन था ।शरद पवार के नेतृत्व में पुलोद सरकार बहुमत में थी उसके बावजूद सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया था । इसके बाद 28 सितंबर 2014 से 30 अक्टूबर 2014 तक थोड़े समय के लिए राष्ट्रपति शासन था क्यों कि राष्ट्रवादी कांग्रेस ने कांग्रेस से अपना समर्थन वापस ले लिया था और कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गयी थी चुनाव सिर पर था इसलिए पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए अवसर न देकर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था ।
राज्य की राजनीत में आर आर पाटिल और पतंगराव का बहुत ही योगदान
राज्य की राजनीति में आर आर पाटिल और पतंगराव कदम का योगदान स्मरणीय है । अपने मृदु स्वभाव के चलते बहुत ही जल्द आर आर पाटिल 14 वी विधानसभा में जाने से पहले तासगांव कवठे महाकाल विधानसभा से आर आर पाटिल 6 बार चुनाव लड़ा था और हर बार चुनाव जीता था । 2014 मोदी लहर में भी आर आर पाटिल की पत्नी ने इसको कायम रखा । पतंगराव कदम का अपनी एक राजनीति का अलग अंदाज था वे अपने दल या विरोधी दल के सभी नेताओं से संबंध रखते थे जो बाद होती थी वे स्प्ष्ट कह देते थे पतंगराव का 14 वी विधानसभा के अधिवेशन के समय दिया गया भाषण अब सुनने को नही मिलेगा ।पतंगराव कदम भीलवडी - वांगी और पलुस -कडेगांव विधानसभा से 9 बार चुनाव लड़ा था जिसमे इनको 6 बार जीत मिली और 3 बार हार मिली थी ।
क्या गणपतराव विधानसभा में दिखेंगे ..?
शेतकरी कामगार और वंचित संगठनों के प्रश्न पर बोलने वाले राज्य के स्थापना से लेकर अभी तक हर एक घटनाक्रम के गवाह और साफ सुथरी राजनीत करने वाले गणपतराव देशमुख संगोला जिला सोलापुर की विधानसभा से 11 बार जीत हासिल किया और राज्य के सबसे वयोबृद्ध नेता हैं इनकी उम्र 93 वर्ष है । इतनी उम्र होने के बावजूद गणपतराव देशमुख 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा किया है । गणपतराव 13 बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था जिसमे से 11 बार जीत और 2 बार हार का सामना किया था ।
एक घर से 2 मुख्यमंत्री
राज्य में एक ही घर से 2 मुख्यमंत्री हुए हैं । इसमें दो परिवारों को इसका सन्मान मिला हुआ है । नाईक घराना पुसद जिला यवतमाल वसंतराव नाईक के पोते सुधाकरराव नाईक और चव्हाण घराना नांदेड़ के शंकरराव और उनके पुत्र अशोक चव्हाण को मिला था ।
मराठा समाज से सबसे ज्यादा हुए मुख्यमंत्री
राज्य की स्थापना से लेकर अभी तक सबसे ज्यादा मराठा समाज से मुख्यमंत्री हुए हैं । अभी तक 17 मुख्यमंत्रियों में से 10 मुख्यमंत्री मराठा समाज से हुए हैं । इसमें यशवंतराव चव्हाण , शंकरराव चव्हाण , वसंतददा पाटिल, शरद पवार , शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर , बाबासाहेब भोसले, नारायण राणे, विलासराव देशमुख , अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण के नाम शामिल हैं । हंगामी मुख्यमंत्री के नाम से प्रसिद्ध कोकण के पी के सावंत भी मराठा ही थे । इसके अलावा राज्य में बंजारा समाज से वसंतराव नाईक और सुधाकरराव नाईक मुख्यमंत्री हुए । अल्पसंख्यक समाज से ए आर अंतुले मुख्यमंत्री पद पर रहे । मनोहर जोशी और देवेंद्र फडणवीस ये दोनों ब्राह्मण मुख्यमंत्री हुए । दलित समाज से सुशील कुमार शिंदे मुख्यमंत्री हुए । राज्य में अभी तक सिर्फ वसंतराव नाईएक और देवेंद्र फडणवीस ने ही अपना पूरा कार्यकाल 5 साल का पूरा किया है ये दोनों विदर्भ से आते हैं यवतमाल के वसंतराव नाईक 1 मार्च 1967 से 13 मार्च 1972 तक अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया था ।और देवेन्द्र फडणवीस 31 अक्टूबर 2014 से अभी तक 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया है ।
अभी तक इन जिलों से कोई नही हुआ मुख्यमंत्री
राज्य का नेतृत्व करने के लिए अभी तक 33 जिलों को अवसर नही मिला है इन 33 जिलों से अभी तक कोई मुख्यमंत्री नही बना है । इन जिलों के नाम कोल्हापुर, रत्नागिरी, अहमदनगर, नासिक, धुले,वर्धा, गढ़चिरौली, अमरावती, जलगांव, नंदुरबार, ठाणे, औरंगाबाद, परभणी, उस्मानाबाद,जालना, बुलढाणा, अकोला, वाशिम, भंडारा , हिंगोली,गोंदिया से अभी तक कोई भी मुख्यमंत्री नही बना है । पुणे, सोलापुर , सातारा, सांगली,रायगड़, सिंधुदुर्ग, लातूर,यवतमाल मुम्बई महानगर चंद्रपुर और नागपुर जिले ने मुख्यमंत्री दिया है ।
2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री की दौड़ में ये नेता
देवेंद्र फडणवीस भाजपा नागपुर अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस बारामती पंकजा मुंडे भाजपा परली धनंजय मुंडे राष्ट्रवादी कांग्रेस परली सुधीर मुनगंटीवार भाजपा बल्लारपुर जयंत पाटिल राष्ट्रवादी कांग्रेस इस्लामपुर एकनाथ शिंदे शिवसेना ठाणे एकनाथ खडसे भाजपा मुक्ताईंनगर गिरीश महाजन भाजपा जामनेर हशन मुशरिफ राष्ट्रवादी कांग्रेस कांगल राधाकृष्ण विखे पाटिल भाजपा शिरडी बालासाहेब थोरात कांग्रेस संगमनेर विजय बडेटटीवार कांग्रेस ब्रह्मपुरी पृथ्वीराज चव्हाण कांग्रेस हर्षवर्धन पाटिल भाजपा इंदापुर अमित देशमुख कांग्रेस लातूर प्रणीति शिंदे कांग्रेस सोलापुर सुभाष देशमुख भाजपा सोलापुर दक्षिण